East India Company : ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई थी

 आज इस लेख के माध्यम से हम ईस्ट इंडिया कंपनी के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम जानेंगे कि ईस्ट इंडिया कंपनी क्या थी, ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई थी, आदि। 

ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India Company )

ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटेन की व्यापारिक कंपनी थी। जो पूरे विश्व में जा जाकर व्यापार करते थे। 1600 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने महारानी एलिजाबेथ प्रथम से चार्टर जिसे इजाजतनामा कहते थे प्राप्त कर लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि अब कंपनी पूर्व में एकाधिकार रूप से व्यापार कर सकती थी। 


चार्टर का सीधा मतलब था कि अब कोई भी अन्य इंग्लैंड की कंपनी इन इलाकों में व्यापार नहीं कर सकती थी। जहां पर ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार करने जाती थी अर्थात पूर्वी प्रदेशों में ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा कोई अन्य कंपनी व्यापार करने की होड़ नहीं कर सकती थी। इस इजाजतनामा के सहारे अब कंपनी समुद्र पार जाकर नए-नए स्थानों की खोज कर सकती थी। 


जहां पर वह अपने व्यापार को और भी बढ़ा सकते थे। व्यापार के माध्यम से वहां से चीजों को सस्ती कीमत पर खरीद कर उन्हें यूरोप में लाकर महंगी कीमत पर बेच सकते थे और मुनाफा कमा सकते थे। उसे जमाने में व्यापारिक कंपनियों के मध्य प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक हुआ करती थी। मुनाफा कमाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता था। 


महारानी एलिजाबेथ प्रथम के द्वारा दिया गया यह चार्टर केवल इंग्लैंड की व्यापारिक कंपनियों के लिए ही लागू होता था। यूरोप की अन्य कंपनियां उन इलाकों में व्यापार करने जा सकती थी जहां पर ईस्ट इंडिया कंपनी जाती है। इंग्लैंड से पहले पुर्तगाली 'केप ऑफ गुड होप' के रास्ते होते हुए हिंद महासागर से भारत के पश्चिमी तट पर पहुंच चुके थे। 


पुर्तगाली गोवा में पहले से ही अपना ठिकाना बना चुके थे। पुर्तगाल के एक यात्री वास्कोडिगामा ने 1498 ईस्वी में ही इस रास्ते का पता भारत पहुंचने के लिए लगा लिया था। इसके बाद डच और फ्रांसीसियों ने भी व्यापार करने के लिए भारत में आने के रास्तों की खोज करने लगे और पहुंचे भी। 


उसे समय सभी कंपनियों के लिए एक सबसे बड़ी समस्या यह थी की सभी एक ही तरह की चीजों को खरीदना चाहते थे। भारत द्वारा निर्मित बारीक सूती कपड़े और रेशम की मांग यूरोपीय बाजारों में बहुत ज्यादा थी। मिर्च, इलायची, लौंग, दालचीनी आदि मसाले की तो बहुत ही ज्यादा डिमांड यूरोपीय बाजारों में थी। 


भारत के मसाले यूरोपीय बाजारों में बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध थे। सभी यूरोपीय कंपनियों की इस मांग से भारतीय बाजारों में भी इनकी कीमत बढ़ने लगी। क्योंकि कीमत बढ़ रही थी इसलिए अब मुनाफा भी कम होने लगा। अब एक व्यापारी कंपनी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए दूसरे व्यापारिक कंपनियों को खत्म करने की सोचने लगी। बाजारों पर अपना आधिपत्य जमाने के लिए कंपनियों के बीच लड़ाइयां छिड़ गई। 17वीं और 18वीं शताब्दी में कंपनियां एक दूसरे के मार्ग में बाधा बनने लगी। कभी कोई कंपनी किसी के जहाज को डुबा देती, उन्हें रास्ते में ही लूट लेती आदि होने लगा। 

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना भारत में 31 दिसंबर 1600 ईस्वी में हुई। 1608 में विलियम हॉकिंस ने अपना जहाज सूरत बंदरगाह पर लेकर आया। तत्पश्चात कंपनी ने 1613 ईस्वी में अपना पहला कारखाना सूरत में खोला।  ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली फैक्ट्री 1651 ईस्वी में बंगाल में हुगली नदी के किनारे स्थित हुई। ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारी यहीं से अपना सारा काम चलाते थे। यह व्यापारी उसे जमाने में फैक्टर कहे जाते थे। 


इन फैक्ट्री में वेयरहाउस हुआ करते थे जिनमें निर्यात किए जाने वाली वस्तुओं को एकत्रित किया जाता था। इसी स्थान पर उनके दफ्तर भी हुआ करते थे। जहां पर कंपनी के बड़े अफसर बैठा करते थे। धीरे-धीरे कंपनी ने अन्य मुगल राजाओं के अफसर को खरीद कर कुछ गांव की जमींदारी भी खरीद ली। 


जिनमें से एक गांव कालीकाता था, जो बाद में जाकर कलकत्ता बना। अब इसे कोलकाता कहते हैं। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने मुगल बादशाह औरंगजेब को इस बात के लिए मना लिया कि कंपनी को व्यापार करने के लिए कोई भी शुल्क नहीं चुकाना होगा, इसका फरमान जारी कर दिया जाय। 

ईस्ट इंडिया कंपनी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

1. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई?

सन 1600 ईस्वी में कैप्टन विलियम हॉकिंस के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गई। 

2. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना किसके शासनकाल में हुई ?

भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में हुई। 

3. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई?

31 दिसंबर 1600 ईस्वी में ।

 

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