दोस्तों, आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि शब्द किसे कहते हैं ? तो चलिए विस्तार से जानते हैं।
शब्द किसे कहते हैं
दो या दो से अधिक वर्णों से मिलकर बनने वाला समूह जिसका कोई अर्थ प्रकट हो, शब्द कहलाता है।
अन्य परिभाषा- ध्वनि समूहों के मेल से बनने वाले सार्थक वर्नसमुदाय, शब्द कहलाते हैं। अर्थात वर्ण या ध्वनियों का सार्थक मेल ही शब्द कहलाता है।
जैसे- मोर, पक्षी, फल, संतरा, आम, पेड़, मोबाइल, पंखा, पानी जल, आग आदि।
जैसा कि आपने जाना कि शब्द का निर्माण दो वर्णों से मिलकर होता है जिनका कोई अर्थ हो। तो ऊपर उदाहरण में मोर एक शब्द है जो एक पक्षी के रूप में आया है। पंखा एक हवा देने वाला यंत्र है । तो देख सकते हैं कि इनका एक अर्थ निकल रहा है, इसलिए ये शब्द कहलायेंगे ।
शब्द के भेद ( Shabd ke bhed )
अर्थ , उत्पत्ति , प्रयोग आदि के आधार पर शब्दों के कई भेद होते हैं। जो निम्न है-
1. अर्थ की दृष्टि से शब्दों के भेद
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द
जिस वर्णसमूह का कोई स्पष्ट अर्थ निकले वह सार्थक शब्द होता है।
जैसे- फूल, खरगोश, कलम आदि सार्थक शब्द है।
निरर्थक शब्द
जिस वर्णसमूह का कोई स्पष्ट अर्थ ही न निकले वह निरर्थक शब्द होता है।
जैसे- खटी, टाना, लवाकनजसग, गयउ आदि निरर्थक शब्द है।
2. प्रयोग की दृष्टि से शब्दों के भेद
शब्दों के मिलने से वाक्यों का निर्माण होता है। और इन वाक्यों से मिलकर ही भाषा बनती है। अपने वाक्यों में हम शब्दों का प्रयोग कैसे करते हैं इस आधार पर शब्दों के दो भेद होते हैं-
(i) विकारी शब्द
(ii) अविकारी शब्द
विकारी शब्द
ऐसे शब्द जिनमे लिंग, वचन, कारक आदि के कारण परिवर्तन या विकार आये उसे विकारी शब्द कहते हैं।
जैसे- लड़का दौड़ता है —-- लड़की दौड़ती है ।
लड़का खेलता है —--- लड़के खेलते है ।
विकारी शब्द 4 प्रकार के होते हैं-
A) संज्ञा
B) सर्वनाम
C) विशेषण
D) क्रिया
अविकारी शब्द
ऐसे शब्द जिनमे लिंग, वचन, कारक आदि के कारण परिवर्तन या विकार नही आता है उसे अविकारी शब्द कहते हैं।
जैसे- परंतु, तथा, यदि , अधिक आदि ।
ये भी 4 प्रकार के होते हैं-
(i) क्रिया विशेषण
(ii) संबंध बोधक
(iii) समुच्चय बोधक
(iv) विस्मयादि बोधक
3. उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के भेद
उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते है
A) तत्सम
B) तद्भव
C) देशज शब्द
D) विदेशी शब्द
A) तत्सम शब्द
हिंदी में वास्तविक रूप में प्रयुक्त होने वाले संस्कृत भाषा के शब्दो को तत्सम शब्द कहते हैं।
जैसे- माता, विद्या, कवि, पुष्प, पुस्तक , आम्र, घोटक आदि ।
B) तद्भव शब्द
ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से तो आये हैं लेकिन उनमें थोड़ा परिवर्तन हुआ है, तद्भव शब्द कहलाते हैं।
जैसे- दूध, हांथ, कपूर आदि
C) देशज शब्द
देशज का अर्थ है देश में जन्मा । अर्थात ऐसे शब्द जो देश के विभिन्न प्रांतो की आम बोल चाल की भाषा से हिंदी में उपयोग होने लगे हैं, उन्हें देशज शब्द कहते हैं।
दूसरे शब्दों में ऐसे शब्द जो देश के अन्य भाषाओं से हिंदी भाषा में प्रयोग होने लगे हैं देशज शब्द कहलाते हैं।
जैसे- चिड़िया, कटोरा, जूता, खिचड़ी, पगड़ी आदि।
D) विदेशी शब्द
जो शब्द विदेशी भाषा से हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने लगे हैं उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। आज के समय में बहुत से ऐसे विदेशी शब्द है जिनका प्रयोग हिंदी में किया जा रहा है।
जैसे- हॉस्पिटल, बुक, रेडियो, डॉक्टर, ट्रक, आराम, अफसोस, हफ्ता, दरोगा, इलाज, वकील, किताब, तोप, काबू, आदि ।
4. व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से शब्दों के भेद
व्युत्पत्ति की रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं जो निम्नलिखित है-
अ) रूढ़ शब्द
ब) यौगिक शब्द
स) योगरूढ़ शब्द
अ) रूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जिनके खंडों का कोई सार्थक अर्थ न निकले रूढ़ शब्द कहलाते हैं। इसमें व्यक्ति, स्थान, प्राणी आदि के नाम शामिल होते हैं।
जैसे:- हाथ, अमन, लखनऊ आदि
ब) यौगिक शब्द
ऐसे शब्द जो एक से अधिक सार्थक अर्थ वाले शब्दों से मिलकर बनते हैं यौगिक शब्द कहलाते हैं।
जैसे- वस्त्रालय अर्थात ऐसा स्थान जहाँ पर वस्त्र मिलते हो। , आग-बबूला, पीला-पन ।
स) योगरूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जो अन्य शब्दों के योग से बनते हैं लेकिन वह एक विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध होते हैं योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
जैसे- दशानन - दश+आनन = दस मुखों वाला अर्थात रावण ।
इसी प्रकार- लंबोदर, पंकज आदि ।
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