दोस्तों, आज इस लेख के माध्यम से मैं आप सबको बताने वाला हूं कि जजिया कर क्या होता था और यह किससे लिया जाता था ?
जजिया कर क्या था ? ( Jajiya kar kya tha )
जजिया कर एक प्रकार का संपत्ति कर था, जिसे इस्लामी इलाके में रहने वाले गैर मुस्लिम लोगों से लिया जाता था। इस्लामी राज्य का नियम था कि अगर कोई गैर मुसलमान इस्लामी राज्य में रहना चाहता है तो उसे जजिया कर देना होगा। इस कर को देने के बाद गैर मुस्लिम भी अपने धर्म का पालन इस्लामिक राज्य में भी कर सकते थे।
जजिया कर किससे लिया जाता था ?
जजिया, इस्लामी राज्य में रहने वाले गैर मुस्लिम जनता से लिया जाता था। यह एक प्रकार का संपत्ति कर है जिसे गैर मुस्लिम लोगों के द्वारा वहन करना होता था। इस कर को देने के बाद ही गैर मुस्लिम लोग, जो इस्लामी राज्य में रहते थे अपने धर्म का पालन कर सकते थे।
भारत में जजिया कर का इतिहास
भारत में जजिया कर का प्रथम साक्ष्य मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के बाद देखने को मिलता है। भारत में सिंध प्रांत के देवल में सर्वप्रथम जजिया कर मोहम्मद बिन कासिम के द्वारा ही लगाया गया। उसके बाद दिल्ली सल्तनत के शासक फिरोज तुगलक ने जजिया कर लागू किया। इसने जजिया को भू राजस्व से बाहर करके अलग कर के रूप में लिया।
फिरोज तुगलक के पहले के शासको द्वारा जजिया कर को ब्राह्मण के ऊपर से मुक्त रखा गया था। लेकिन इस शासन ने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर को लागू कर दिया। इसके विरोध में दिल्ली के ब्राह्मणों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। परिणामता फिरोज तुगलक ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस हड़ताल के बाद दिल्ली की जनता ने ब्राह्मणों के बदले स्वयं जजिया देने का निर्णय लिया। सिकंदर लोदी जो लोदी वंश का शासक था इसके बाद जजिया कर लगाना शुरू किया।
जजिया कर के क्षेत्र को और भी बढ़ा दिया गया। जजिया कर ना दे पाने वालों को गुलाम बना दिया जाता था। सुल्तान के कर्मचारी इन गुलाम को बाजारों में बेच दिया करते थे। वहां पर गुलाम श्रमिकों की मांग बहुत ही अधिक रहती थी।
इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने लिखा है कि बयानह के काजी मुघिसुद्दीन मैं अलाउद्दीन खिलजी को सलाह दी की हिंदुओं पर जजिया कर लगाया जाए यहां इस्लाम की जरूरत है, जिससे हिंदुओं को अपमानित किया जा सके और उनके प्रति निरादर दिखाया जा सके। उसने यह भी सलाह दी की जजिया लगाना सुल्तानों का मजहबी फर्ज है।
सल्तनत के बाहर के जो मुसलमान शासक हुए उन्होंने भी हिंदुओं पर जजिया कर लागू कर दिया। सिकंदर शाह द्वारा सर्वप्रथम कश्मीर में जजिया कर लगाया गया। यह धर्मांध शासक था जिसने हिंदुओं पर बहुत ही अधिक अत्याचार किया।
सिकंदर शाह के बाद उसका पुत्र जैनुल आबेदीन (1420-70ई) शासक बना और इसने जजिया कर को समाप्त कर दिया। जजिया कर को समाप्त करने वाला यह पहला शासक हुआ। अहमद शाह (1411-42 ई) द्वारा गुजरात में सबसे पहले जजिया लगाया गया। जजिया वसूलने में इसने इतनी कड़ाई की, कि बहुत से हिंदू, मुसलमान बन गए।
शेरशाह के समय जजिया कर को नगर कर की संज्ञा दी गई थी। पहला मुगल शासक अकबर हुआ जिसने जजिया कर को समाप्त किया। जजिया कर का विरोध सबसे पहले ब्राह्मण के द्वारा किया गया।
ब्राह्मणों ने कहा कि हम हिंदू नहीं है या हिंदू शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया है। ब्राह्मणों ने कहा हम सनातनी हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि बाद में अकबर ने 1564 ईस्वी में जजिया कर को समाप्त कर दिया। लेकिन 1575 में पुनः जजिया लगा दिया गया। इसके बाद फिर से इसे 1579-80 में समाप्त कर दिया गया।
मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल में 1679 में फिर से जजिया कर लागू कर दिया। परिणाम स्वरुप हिंदुओं ने जजिया कर का विरोध भी किया, जिससे कुछ स्थानों से जजिया हटा लिया गया। जहाँदारशाह ने अपने मंत्री जुल्फिकार खान व असद खान के कहने पर 1712 ईस्वी में जजिया को विधिवत तरीके से समाप्त कर दिया। इसके बाद 1713 ईस्वी में फरुखसियर ने भी जजिया कर को समाप्त कर दिया, लेकिन 1717 ईस्वी में पुनः लगा दिया। अंत में मोहम्मद शाह रंगीला ने 1720 ईस्वी में जय सिंह के अनुरोध पर जजिया कर को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया।
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