दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे की भाषा किसे कहते हैं तथा भाषा के प्रकार और उनके महत्व क्या है। कौन-कौन सी भाषाएं होती हैं आदि हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे तो चलिए सबसे पहले जानते हैं की भाषा किसे कहते हैं-
भाषा किसे कहते हैं (Bhasha kise kahte hain)
भाषा एक ऐसा साधन या माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर पढ़ कर लिखकर या सुनकर अपनी भावों को व्यक्त करता है तथा किसी अन्य के भावों को भी समझ सकता है। भाषा के द्वारा हम किसी दूसरे से बात कर सकते हैं तथा किसी दूसरे की बातों को समझ सकते हैं। सार्थक ध्वनियों के मेल से ही भाषा बनती है। विचारों के आदान-प्रदान को भाषा के द्वारा ही संभव बनाया जा सकता है और यह विशेषता सिर्फ मनुष्य में ही पाई जाती है अन्य जीव इससे वंचित है। जैसे हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू आदि भाषाएं हैं।
भाषा मुख से उच्चारित होने वाले वाक्य या शब्दों का वह समूह है जिसके द्वारा मन की बात को किसी दूसरे से बताया जा सकता है। सामान्य रूप से भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का साधन माना जाता है। भाषा के बिना मनुष्य अपूर्ण है। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में कई प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं। प्रत्येक व्यक्ति इस संसार में जिसने जहां पर जन्म लिया है उसे उस देश की या वहां की भाषा तो अच्छी तरीके से आती है लेकिन किसी अन्य स्थान की भाषा वह नहीं समझ सकता। इसके लिए उसे उस भाषा को सिखाना पड़ता है।
भाषा को लिखित रूप में प्रदर्शित करने के लिए लिपियों का प्रयोग किया जाता है। भाषा और लिपि भाव व्यक्त करने के दो अभिन्न पहलू हैं। किसी एक भाषा को हम कई लिपियों में लिख सकते हैं। या फिर दो या दो से अधिक भाषाओं की कोई एक लिपि भी हो सकती है। जैसे पंजाबी को गुरुमुखी तथा सहमुखी दोनों में लिखा जा सकता है जबकि हिंदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
भाषा की परिभाषा (Bhasha ki paribhasha)
प्राचीन काल से ही भाषा को परिभाषित किया जा रहा है जिसको दृष्टि में रखते हुए कुछ प्रमुख परिभाषाओं को नीचे दिया गया है-
1. ‘भाषा’ शब्द का निर्माण संस्कृत के ‘भाष’ धातु से हुआ है जिसका अर्थ होता है बोलना या कहना अर्थात भाषा वह है जिसे बोला जाए।
2. प्लेटो के अनुसार विचार और भाषा में थोड़ा ही अंतर है विचार आत्मा की मुक या ना बोले जाने वाली बातचीत है जबकि शब्द जब होठों से प्रकट होते हैं तो उन्हें भाषा कही जाती है।
3. स्वीट के अनुसार धनात्मक शब्दों द्वारा विचारों का प्रकट होना ही भाषा है।
बोली, विभाषा, भाषा और राजभाषा क्या है
बोली, विभाषा, भाषा और राजभाषा एक ही समाज में चलने वाली भाषाओं के रूप हैं जिन्हें निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है-
बोली
बोली, भाषा की छोटी इकाई होती है। इसका संबंध ग्राम या एक सीमित क्षेत्र से होता है। इसमें व्यक्तिगत बोलचाल की प्रधानता होती है तथा घरेलू तथा देशज शब्दों की बहुलता होती है। यह प्रमुख रूप से बोलचाल की भाषा होती है जो कुछ दूरी दूरी पर बदलती रहती है। व्याकरण की दृष्टि से भी या उपयुक्त नहीं होती है।
विभाषा
इसका क्षेत्र बोली की अपेक्षा अधिक विस्तृत होता है। या भाषा एक प्रांत या उपप्रान्त में प्रचलित होती है। इसमें स्थानीय विभेदों के आधार पर कई बोलियों प्रचलित होती हैं।
भाषा
भाषा विभाषा की विकसित स्थिति है। इसे राष्ट्रभाषा भी कहा जाता है।
राजभाषा
विभिन्न विभाषाओ में से कोई एक विभाषा अपने गुण गौरव साहित्यिक अभिवृद्धि जन सामान्य मैं अधिक प्रचलन आदि के आधार पर राज कार्य के लिए चुनी जाती है जिस वजह से उसे राजभाषा के रूप में घोषित कर दिया जाता है।
राज्यभाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर
राज्यभाषा वह भाषा होती है जिसे किसी राज्य सरकार के द्वारा उस राज्य के अंतर्गत प्रशासनिक सेवाओं तथाकारियों को संपन्न करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।
राजभाषा वे हैं जिन्हें भारतीय संविधान द्वारा राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए हिंदी सहित अन्य 22 भाषाएं चुनी गई हैं।
राष्ट्रभाषा संपूर्ण राष्ट्र की भाषा होती है प्राय यह अधिकतर लोगों द्वारा बोली जाने वाली और समझे जाने वाली भाषा होती है जो उस राष्ट्र को प्रदर्शित करती है अधिकांशत राष्ट्रभाषा ही किसी देश की राजभाषा होती है।
भाषा के प्रकार (Bhasha ke Prakar)
भाषा के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं जो निम्न है-
1. मौखिक भाषा
2. लिखित भाषा तथा
3. सांकेतिक भाषा
1. मौखिक भाषा
वे सभी स्थानीय भाषाएं जिनके द्वारा हम अपने मन और दिमाग की बात को किसी अन्य व्यक्ति को बोल कर बताते हैं। वे सभी मौखिक भाषाएं होती हैं। भाषा के इस प्रकार में बोलने वाला अपनी बात को दूसरों को समझाता है।
2. लिखित भाषा
जिस भाषा माध्यम द्वारा हम अपने विचारों को लिखकर प्रकट करते हैं और दूसरे इसे पढ़ कर समझते हैं उसे लिखित भाषा कहते हैं। लिखित भाषा समझने के लिए पढ़ने वाले को पढ़ा लिखा होना जरूरी है।
3. सांकेतिक भाषा
इस भाषा में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अपनी बातों या विचारों को सांकेतिक रूप में प्रस्तुत करता है इस प्रकार की भाषा को सांकेतिक भाषा कहते हैं। किस भाषा का प्रयोग ज्यादातर दिव्यांग बालकों के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के लिए किया जाता है।
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