निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं- NijVachak Sarvanam kise kahte hain?

निजवाचक सर्वनाम


भाषा में व्यक्तित्व का अद्भुत संसार छिपा होता है, और इसी संसार में निजवाचक सर्वनाम एक विशेष स्थान रखते हैं। यह शब्द किसी वक्ता के अपने लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे "आप", "स्वयं", "खुद", "स्वतः" आदि। ये शब्द वक्ता की आत्म-धारणा और अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।


निजवाचक सर्वनाम का उपयोग


निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग दो प्रकार से होता है:

आदर-सूचक मध्यम पुरुष: जब "आप" शब्द श्रोता के लिए प्रयोग किया जाता है, तब यह आदर-सूचक होता है। जैसे, "आप कहाँ जा रहे हैं?" यहां "आप" का उपयोग श्रोता के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किया गया है।

स्वयं के लिए उपयोग: जब "आप" का प्रयोग वक्ता अपने लिए करता है, तब यह निजवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आता है। जैसे, "मैं ये काम अपने आप कर लूंगा।" यहां "आप" का उपयोग वक्ता द्वारा अपनी क्षमता या आत्मनिर्भरता को दर्शाने के लिए किया गया है।


निजवाचक सर्वनाम के अर्थ


निजवाचक सर्वनाम "आप" का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जा सकता है:

अवधारण के लिए: "मैं 'आप' वहीं से आया हूँ।"

निराकरण के लिए: "उन्होंने मुझे रहने को कहा और 'आप' चलते बने।"

सर्वसाधारण के अर्थ में: "आप भला तो जग भला।"

अवधारण में 'ही' का प्रयोग: "मैं 'आप ही' चला आता था।"

उदाहरण और व्याख्या

निजवाचक सर्वनाम का प्रभाव भाषा में गहराई लाता है। कुछ और उदाहरण इस प्रकार हैं:

"मैं खुद कुछ नहीं कर सकता, मुझे सहायता चाहिए।"

"जब तक तुम खुद निश्चय नहीं करोगे, तब तक ऐसा संभव नहीं होगा।"

"मुझे अपने से कुछ भी करने का मन नहीं करता।"

इन वाक्यों में "खुद", "स्वयं" और "आप" शब्द व्यक्तित्व की निजता को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष

निजवाचक सर्वनाम न केवल वक्ता के आत्म-भावना को व्यक्त करते हैं, बल्कि वे संवाद में एक विशेष गहराई भी लाते हैं। इन शब्दों का सही उपयोग संवाद को प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाता है। भाषा के इस पहलू को समझकर हम अपने विचारों को अधिक स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ व्यक्त कर सकते हैं।

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