बहुब्रीहि समास: परिभाषा, भेद तथा उदाहरण सहित ( Bahubrih Samas)

परिचय:

हिन्दी व्याकरण में समास का अध्ययन एक महत्वपूर्ण भाग है। समास वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो या अधिक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं। समास के विभिन्न प्रकारों में बहुब्रीहि समास एक विशेष प्रकार है। बहुब्रीहि समास न केवल व्याकरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका साहित्य और रोज़मर्रा की भाषा में भी उपयोग व्यापक रूप से होता है। इस ब्लॉग में हम बहुब्रीहि समास की परिभाषा, इसके भेद और उदाहरणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


बहुब्रीहि समास की परिभाषा

बहुब्रीहि समास उस समास को कहते हैं जिसमें बने हुए शब्द से उस वस्तु या व्यक्ति का बोध न हो, जो मूल शब्दों से प्रकट होता है, बल्कि किसी तीसरी वस्तु या व्यक्ति का बोध होता है।

सरल शब्दों में:

जब दो या अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं, तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।

उदाहरण:

  1. चक्रधारी: चक्र + धारी → जिसका चक्र हो (श्रीकृष्ण)।
  2. पितामह: पिता + मह → जो पिता के समान महान हों (दादा)।

बहुब्रीहि समास के लक्षण

  1. बना हुआ शब्द: समास के बाद बना शब्द अपने मूल अर्थ को नहीं, बल्कि किसी अन्य व्यक्ति, वस्तु, या गुण को प्रकट करता है।
  2. परस्पर संबंध: समास में जुड़े शब्दों का आपस में एक विशेष संबंध होता है।
  3. तृतीय संदर्भ: समास का अर्थ किसी तीसरी वस्तु या व्यक्ति की ओर संकेत करता है।

उदाहरण:

  • नीलकंठ: नील (नीला) + कंठ (गला) → जिसका गला नीला हो (शिव)।
  • पंचबाण: पंच (पांच) + बाण (तीर) → जिसके पास पांच तीर हों (कामदेव)।

बहुब्रीहि समास के भेद

बहुब्रीहि समास को मुख्यतः दो भेदों में बांटा जा सकता है:

1. गुणवाचक बहुब्रीहि समास:

इस प्रकार के समास में बने हुए शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण का बोध होता है।
उदाहरण:

  • चक्रपाणि: चक्र + पाणि → जिसके हाथ में चक्र हो (विष्णु)।
  • सुंदरमूर्ति: सुंदर + मूर्ति → जिसकी मूर्ति सुंदर हो।

2. संख्यावाचक बहुब्रीहि समास:

इस प्रकार के समास में बने हुए शब्द से किसी संख्या का बोध होता है।
उदाहरण:

  • दशानन: दश (दस) + आनन (मुख) → जिसके दस मुख हों (रावण)।
  • त्रिनेत्र: त्रि (तीन) + नेत्र (आंखें) → जिसके तीन नेत्र हों (शिव)।

बहुब्रीहि समास के विशिष्ट उदाहरण

समास विग्रह अर्थ
राजकुमार राजा + कुमार राजा का पुत्र।
महादेव महा + देव जो देवों में महान हो (शिव)।
पीतांबर पीत + अम्बर जिसने पीले वस्त्र धारण किए हों।
लघुशंका लघु + शंका छोटी शंका, मूत्र विसर्जन।
दशरथ दश + रथ जिसके पास दस रथ हों।

बहुब्रीहि समास के निर्माण के नियम

  1. संबंध पर ध्यान दें:
    बहुब्रीहि समास के अंतर्गत बने शब्द का अर्थ उन शब्दों के सामान्य अर्थ से अलग होता है।

  2. तृतीय वस्तु का संकेत:
    यह समास हमेशा किसी तीसरी वस्तु, व्यक्ति या गुण की ओर संकेत करता है।

  3. अर्थ को समझना:
    मूल शब्दों के अर्थ का सही विग्रह करना आवश्यक है।


बहुब्रीहि समास और अन्य समासों में अंतर

विशेषता बहुब्रीहि समास तत्पुरुष समास द्वंद्व समास
अर्थ तीसरी वस्तु का बोध। एक शब्द प्रधान होता है। दोनों शब्द समान महत्त्व के होते हैं।
उदाहरण त्रिनेत्र (तीन नेत्र वाले)। राजपुत्र (राजा का पुत्र)। माता-पिता (मां और पिता)।

बहुब्रीहि समास के उपयोग

  1. साहित्य में:
    कविताओं और ग्रंथों में भावों को संक्षिप्त और प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए।

  2. दैनिक जीवन में:
    बोलचाल की भाषा में संक्षेप में बात करने के लिए।

  3. शिक्षा और व्याकरण में:
    व्याकरण के नियमों और शब्द निर्माण को समझाने के लिए।


महत्वपूर्ण बातें

  1. बहुब्रीहि समास में संधि-विच्छेद और विग्रह का सही ज्ञान होना आवश्यक है।
  2. इस समास का उपयोग भाषा को सशक्त और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है।
  3. इसका अध्ययन हिन्दी व्याकरण के समास खंड में अनिवार्य रूप से किया जाता है।

निष्कर्ष

बहुब्रीहि समास हिन्दी व्याकरण का एक रोचक और महत्वपूर्ण भाग है। यह न केवल भाषा को संक्षिप्त और प्रभावी बनाता है, बल्कि साहित्य और दैनिक जीवन में भी इसकी व्यापक उपयोगिता है। बहुब्रीहि समास के नियम, भेद और उदाहरण को समझकर हम भाषा के इस महत्वपूर्ण पक्ष को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

क्या आपने कभी बहुब्रीहि समास का उपयोग किया है? अपने अनुभव साझा करें!

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