साम्य मूल्य (Equilibrium Price) किसे कहते हैं?
साम्य मूल्य वह मूल्य (Price) होता है, जिस पर किसी वस्तु की मांग (Demand) और आपूर्ति (Supply) बराबर होती है। इस स्थिति में बाजार में न तो वस्तु की अधिकता होती है और न ही उसकी कमी।
साम्य मूल्य बनने की प्रक्रिया
- जब किसी वस्तु की मांग अधिक और आपूर्ति कम होती है, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है।
- जब किसी वस्तु की आपूर्ति अधिक और मांग कम होती है, तो उसका मूल्य घट जाता है।
- जब मांग और आपूर्ति बराबर हो जाती हैं, तब जो मूल्य तय होता है, वही साम्य मूल्य कहलाता है।
साम्य मूल्य को समझने के लिए उदाहरण
मान लीजिए कि एक बाज़ार में गेहूं बिक रहा है:
- यदि गेहूं का मूल्य ₹30 प्रति किलो है, तो लोग अधिक मात्रा में खरीदना चाहेंगे, लेकिन किसान कम उत्पादन करेंगे → मांग अधिक, आपूर्ति कम → कीमत बढ़ेगी।
- यदि गेहूं का मूल्य ₹50 प्रति किलो है, तो किसान अधिक उत्पादन करेंगे, लेकिन लोग कम खरीदेंगे → आपूर्ति अधिक, मांग कम → कीमत घटेगी।
- जब गेहूं का मूल्य ₹40 प्रति किलो हो जाता है, तो जितनी मांग होती है, उतनी ही आपूर्ति भी होती है → यही साम्य मूल्य होगा।
साम्य मूल्य का महत्व
- बाजार में स्थिरता (Market Stability): यह कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव को रोकता है।
- उपभोक्ताओं और उत्पादकों का संतुलन: इससे उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर वस्तुएं मिलती हैं और उत्पादकों को भी उचित लाभ मिलता है।
- अर्थव्यवस्था में संतुलन: यह अर्थव्यवस्था को संतुलित और सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
साम्य मूल्य को चित्र द्वारा समझना (डायग्राम)
साम्य मूल्य को एक मांग-आपूर्ति ग्राफ द्वारा समझाया जा सकता है:
- X-अक्ष (Horizontal Axis): वस्तु की मात्रा (Quantity)
- Y-अक्ष (Vertical Axis): वस्तु की कीमत (Price)
- मांग वक्र (Demand Curve, D): यह दिखाता है कि कीमत बढ़ने पर मांग घटती है।
- आपूर्ति वक्र (Supply Curve, S): यह दिखाता है कि कीमत बढ़ने पर आपूर्ति बढ़ती है।
- जहाँ दोनों वक्र (Demand और Supply) मिलते हैं, वह बिंदु ही साम्य बिंदु (Equilibrium Point) होता है, और उसी पर जो मूल्य तय होता है, वही साम्य मूल्य कहलाता है।
निष्कर्ष
साम्य मूल्य एक ऐसी कीमत होती है, जिस पर मांग और आपूर्ति बराबर हो जाती हैं। यह बाजार को स्थिर रखता है और कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करता है।
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