क्रिप्स मिशन कब भारत आया और इसके क्या प्रभाव थे?

परिचय

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम को नियंत्रित करने और भारतीय नेताओं का समर्थन प्राप्त करने के लिए क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) भेजा। यह मिशन मार्च 1942 में भारत आया था और इसका मुख्य उद्देश्य भारत को भविष्य में एक स्वशासी उपनिवेश (Dominion) का दर्जा देने का प्रस्ताव रखना था। हालांकि, यह मिशन अपने उद्देश्य में असफल रहा और इसे भारतीय नेताओं द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि क्रिप्स मिशन कब और क्यों आया, इसके प्रस्ताव क्या थे, और यह असफल क्यों हुआ।


क्रिप्स मिशन कब और क्यों आया?

क्रिप्स मिशन 22 मार्च 1942 को भारत आया

मिशन के आने के कारण:

  1. द्वितीय विश्व युद्ध का दबाव:
    1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था, और जापान तेजी से ब्रिटिश उपनिवेशों पर आक्रमण कर रहा था। दिसंबर 1941 में जापान ने सिंगापुर पर कब्जा कर लिया और भारत की ओर बढ़ने लगा।

  2. भारतीय नेताओं का असंतोष:
    ब्रिटिश सरकार ने बिना भारतीय नेताओं की सहमति के भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में झोंक दिया था, जिससे कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल नाराज थे।

  3. अमेरिका और चीन का दबाव:
    अमेरिका और चीन, जो ब्रिटेन के मित्र राष्ट्र थे, चाहते थे कि ब्रिटेन भारत को कुछ राजनीतिक स्वतंत्रता देकर उसका समर्थन प्राप्त करे।

  4. भारतीय सैनिकों का सहयोग सुनिश्चित करना:
    ब्रिटेन चाहता था कि भारतीय सेना और लोग द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन करें, इसलिए उसने भारत को कुछ हद तक राजनीतिक रियायत देने की योजना बनाई।


क्रिप्स मिशन के प्रमुख प्रस्ताव

क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों को "क्रिप्स प्रस्ताव" कहा जाता है। इसके प्रमुख बिंदु निम्नलिखित थे:

  1. युद्ध के बाद भारत को "डोमिनियन स्टेटस" मिलेगा – यानी भारत को ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर एक स्वायत्त राष्ट्र का दर्जा मिलेगा।
  2. भारत को अपना संविधान बनाने का अधिकार होगा, जिसे एक संविधान सभा द्वारा तैयार किया जाएगा।
  3. प्रांतीय स्वायत्तता को बरकरार रखा जाएगा और प्रांतों को स्वतंत्र रूप से यह तय करने का अधिकार होगा कि वे भारत संघ में रहना चाहते हैं या नहीं।
  4. संविधान सभा के निर्णय को स्वीकार करने के लिए ब्रिटिश सरकार बाध्य होगी।
  5. अल्पसंख्यकों (विशेष रूप से मुस्लिम लीग) के हितों की रक्षा की जाएगी।

क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण

क्रिप्स मिशन अपने उद्देश्यों में पूरी तरह विफल रहा, क्योंकि इसे भारतीय नेताओं ने स्वीकार नहीं किया। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे:

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अस्वीकृति:

  • कांग्रेस चाहती थी कि भारत को तुरंत स्वतंत्रता दी जाए, लेकिन ब्रिटिश सरकार केवल युद्ध के बाद की स्वतंत्रता की बात कर रही थी।
  • गांधीजी ने इस प्रस्ताव को "एक जली हुई चिट्ठी" (Post-dated cheque) कहा, जिसका कोई मूल्य नहीं था।
  • कांग्रेस को यह भी आपत्ति थी कि क्रिप्स प्रस्तावों में ब्रिटिश गवर्नर-जनरल को veto power दी गई थी।

2. मुस्लिम लीग का विरोध:

  • मुस्लिम लीग चाहती थी कि भारत का विभाजन कर पाकिस्तान बनाया जाए, लेकिन क्रिप्स मिशन ने इस पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दिया।
  • मुस्लिम लीग को यह आपत्ति थी कि संविधान सभा के गठन में उसे अलग से प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया।

3. हिंदू महासभा और अन्य दलों का विरोध:

  • हिंदू महासभा और कई अन्य संगठन भारत की अखंडता बनाए रखना चाहते थे, लेकिन क्रिप्स मिशन ने प्रांतों को यह अधिकार दे दिया था कि वे भारत संघ में शामिल रहें या न रहें।
  • इससे भारत के विभाजन की आशंका बढ़ गई, जिससे कई राजनीतिक दल नाराज हो गए।

4. ब्रिटिश सरकार की अनिच्छा:

  • ब्रिटेन भारतीय नेताओं को वास्तविक शक्ति देने के लिए तैयार नहीं था।
  • चर्चिल सरकार खुद भारत को अधिक स्वतंत्रता देने के पक्ष में नहीं थी।

क्रिप्स मिशन के परिणाम

  1. भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) की शुरुआत:

    • क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद, गांधीजी और कांग्रेस ने 8 अगस्त 1942 को "भारत छोड़ो आंदोलन" शुरू किया।
    • इस आंदोलन में देशभर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह हुआ।
  2. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज हुआ:

    • इस मिशन की विफलता के बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उग्र हो गया।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार पर भारत को स्वतंत्र करने का दबाव और बढ़ गया।
  3. भारत के विभाजन की नींव पड़ी:

    • क्रिप्स मिशन ने प्रांतों को भारत संघ से अलग होने का अधिकार दिया था, जिससे मुस्लिम लीग को अपने "पाकिस्तान" की मांग को मजबूत करने का अवसर मिला।
  4. ब्रिटेन की साख गिरी:

    • भारतीय जनता और राजनीतिक दलों में ब्रिटिश सरकार की साख कमजोर हो गई।
    • यह स्पष्ट हो गया कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को सत्ता सौंपने के लिए गंभीर नहीं है।

निष्कर्ष

क्रिप्स मिशन 22 मार्च 1942 को भारत आया, लेकिन इसके प्रस्ताव भारतीय नेताओं को स्वीकार्य नहीं थे, जिसके कारण यह असफल हो गया। इसकी असफलता के कारण ही भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को और तेज कर दिया। हालांकि, इस मिशन ने भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि अब ब्रिटेन को भारत को स्वतंत्र करना ही पड़ेगा।

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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. क्रिप्स मिशन कब आया?
क्रिप्स मिशन 22 मार्च 1942 को भारत आया था।

2. क्रिप्स मिशन का उद्देश्य क्या था?
इसका उद्देश्य भारतीय नेताओं का समर्थन प्राप्त करना और युद्ध के बाद भारत को "डोमिनियन स्टेटस" देने का वादा करना था।

3. क्रिप्स मिशन असफल क्यों हुआ?
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग और अन्य दलों ने इसे अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह उनकी मांगों को पूरा नहीं करता था।

4. क्रिप्स मिशन का मुख्य परिणाम क्या था?
इसकी असफलता के कारण भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) शुरू हुआ और भारत की स्वतंत्रता संग्राम और तेज हो गया।

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